सम्पादक स्वदेश सिंघल की कलम से..
कोरोना : नियमों का पालन जरुरी
देश-दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही है इस बीमारी का कारण सफ़ाई से संबंधित तो नहीं पर इस भयंकर और जानलेवा वायरस का कारण सफ़ाई ना होने के कारण भी होता है, इसका मुख्य कारण जो व्यक्ति इस बीमारी से संक्रमित है अगर वो दूसरे व्यक्ति से किसी भी तरह से सम्पर्क में आता है तो उसे भी ये भयंकर रोग हो जाता है. अभी तक पूरे विश्व में इसकी कोई दवाई नहीं बनी है इसको और ना फेलने के लिए डॉक्टर का भी कहना है साफ़ सफ़ाई रखें हाथ बार-बार धोएं, गरम पानी पिएं , गुटका , सिगरेट और पान को जगह-जगह नहीं थूकें . मोदी सरकार ने आते ही अपना सबसे पहला काम स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) दिशा-निर्देश में खुले में शौच मुक्त , मल संबंधीमौखिक प्रसार को खत्म करना, अर्थात, मल निपटान के लिए सुरक्षित तकनीकी विकल्पों का इस्तेमाल करके पर्यावरण, गांव और हर घर के साथ सार्वजनिक/सामुदायिक संस्थानों में कहीं मल नहीं दिखना. इन सब का ठीक से अमल हो इसके लिए भारत सरकार का पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय, गंगा स्वच्छ मंत्रालय इसको और स्पष्ट करते हुए कहता है कि, ओडीएफ वो जगह है जहां पर्यावरण में मल नहीं दिखे और सभी घरेलू, सार्वजनिक और सामुदायिक स्तर पर इसका पालन हो. ___ इतना सब होने पर भी देश में शहरों में अधिकांश स्थानों पर सीवेज पाइप और पेयजल पाइप साथ-साथ चल रहे हैं और लीकेज की स्थिति में प्रदूषण पानी के माध्यम से जंगली आग की तरह फैलता है , ये खबरें सबसे अधिक देश की राजधानी दिल्ली से आती है इसके अलावा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ ,उत्तरप्रदेश से भी मिलती हैं. इन सब के लिए नगर निगम ही दोषी है, जिसका खमियाजना आम नागरिक को ही भुगतना पड़ता है जिससे उसे गम्भीर बीमारियाँ जेसे पीलिया, पेट की बीमारियाँ और उसका इमूनिटी भी कमजोर हो जाती है . देश में कोरोना के कारण अब नगर निगम की और भी जिम्मेदारी बढ़ जाती है , ये कहना है आल इंडिया कन्सूमर एजुकेशन सोसायटी के सदस्य महेश कुमार मलिक का उनका कहना है कोरोना वायरस जैसी महामारी को रोकने के लिए अब नगर निगम को आम नागरिकों को बचाने की लिए जगह-जगह दवाइयों का स्प्रे करना होगा , यदि नगरपालिकाओं ने कुछ एहतियाती उपायों को लागू किया तो बहुत मानव जीवन बचाया जाएगा , जिसमें सबसे अधिक शिकार गरीब जनता होती है . नगर पालिकाओं को जल निकासी पंपिंग स्टेशनों को बनाए रखने, ठोस कचरे को हटाने और परिवहन, पानी पंपिंग स्टेशन चलाने और सार्वजनिक शौचालयों की सफाई जैसे क्षेत्रों के निजीकरण का विकल्प चुनने की अनुमति दी जानी चाहिए. नगर निगम के अधिकारियों की कमी को दूर करने के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (सीपीए) में संशोधन किया जाएगा ताकि नगर निगम की सेवाएं भी उसके अधिकार क्षेत्र में आ जाएं. हाल ही में एक नागरिक समूह ने नगर निगम के ठेकेदार के खिलाफ तमिलनाडु उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के पास शिकायत दर्ज कराई. जो शहर के गंदगी को साफ करने में अक्षम्य उदासीनता के लिए है . आयोग ने नगर निगम को जिम्मेदार ठहराया, साथ ही उसे मौद्रिक मुआवजा देने का आदेश भी दिया, क्योंकि ठेकेदार के काम की देखरेख उसकी जिम्मेदारी थी.ऑल इंडिया कन्सूमर एजुकेशन सॉसाययटी के अध्यक्ष ( लेखक )का कहना है कि नगर निगम खुद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के फाइन प्रिंट के तहत जवाबदेही से तो बच सकता है, लेकिन जिस ठेकेदार को सफाई और कचरा हटाने की सेवाएं आउटसोर्स की गई हैं, वह कर्तव्यों के उचित निर्वहन के लिए पूरी तरह जवाबदेह है, क्योंकि उसे काम के लिए भुगतान मिलता है और सेवा में कमी होने पर उसे उपभोक्ता संरक्षण के दायरे में लाया जा सकता है.