अर्णब गोस्वामी से हुई पूछताछ पर सोशल मीडिया पर क्या चल रहा है?

नईदिल्ली. रिपब्लिक टीवी के एडिटर इनचीफ़ अर्णब गोस्वामी से मुंबई पुलिस की पूछताछ पर सोशल मीडिया दो धड़ों में बंटा हुआ है. कुछ लोग अर्णब के साथ दिखे, तो कुछ लोगों ने अर्णब के खलिाफ कार्रवाई को जायज भी ठहराया है. __ एडिटर्स गिल्ड, प्रेस काउंसिल और ब्रॉडकास्टिंग एसोसिएशन ने इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया देने से खुद को अलग रखा है. __ अर्णब गोस्वामी के पूर्व सहयोगी और वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने सोशल मीडिया पर पुलिस की इस लंबी पूछताछ पर सवाल उठाए हैं. राजदीप ने ट्वीट किया, क्या एक टीवी प्रोग्राम के सिलसिले में अर्णब से पूछताछ करने के लिए क्या वाकई मुंबई पुलिस को 10 घंटे चाहिए? सांसद राजीव चंद्रशेखर ने ट्वीट किया, यकीन नहीं होता कि अर्णब गोस्वामी से 12 घंटे तक पूछताछ हुई. क्यों? क्योंकि उन्होंने सोनिया गांधी को उनके मूल नाम से संबोधित किया. रिपब्लिक टीवी पर जारी किए गए उनके बयान में कहा गया है कि उनसे साढे 12 घंटे तक पछताछ हुई. बयान में कहा गया है, सोनिया गांधी पर मेरी टिप्पणी के संबंध में आज पूछताछ हो गई.



मैंने साफ़ कर दिया है कि मैं अपने बयान के साथ हूं. मैं बिलकुल साफ़ हूँ कि जो भी मैंने कहा वो सही है, पुलिस को मैंने अपने पक्ष की कहानी बताई और वो इससे संतुष्ट हैं. मैंने जांच में सहयोग किया. यह पूछे जाने पर कि क्या राजनीतिक दबाव के कारण उनसे पूछताछ की गई है, अर्णब ने पत्रकारों से कहा, मैं अभी इसके पीछे का मकसद नहीं बताना चाहता. लेकिन हर कोई जो ये देख रहा है, वो देख रहा है कि मैं सच्चाई की तरफ़ हूँ और अपने कहे पर कायम हूँ. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते शुक्रवार को गोस्वामी को राहत दी थी और इस मामले में किसी भी कार्रवाई से तीन हफ्ते के लिए संरक्षण दिया था. साथ ही नागपुर में दर्ज मामले को छोड़कर इस संबंध में दायर दूसरे सभी मामलों में कार्रवाई पर रोक लगा दी थी. महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने गोस्वामी के खलिाफ़ नागपुर में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें पालघर की घटना के संबंध में उनके टीवी शो में सोनिया गांधी पर दिए उनके बयानों का जिक्र था. हालाँकि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर भी कुछ लोगों ने सवाल उठाए थे. उन्होंने अर्णब के बहाने कश्मीर के पत्रकार और लेखक गौहर गिलानी का मामला भी उठाया. तर्क दिया गया कि अगर अदालतों का मक़सद देश में अभिव्यक्ति की आजादी को बचाए रखना है तो पत्रकारों से जुड़े अलग-अलग मामलों में ही कानून का रुख अलग-अलग क्यों नज़र आता है? जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्विवटर पर लिखा, अर्णब गोस्वामी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और जम्मूकश्मीर हाई कोर्ट के फैसले से बड़ा विरोधाभास कोई हो नहीं सकता. अगर न्यायपालिका ही नेशनल और एंटी नेशनल की कहानी में यकीन करने लगेगी तो लोग न्याय मांगने के लिए कहां जाएंगे? उधर, विश्व हिंदू परिषद यानी वीएचपी ने भी अर्णब के खलिाफ कार्रवाई के लिए महाराष्ट्र सरकार पर सवाल उठाए हैं. फिल्म निर्देशक अनुभव सिन्हा के ट्वीट की भी काफ़ी चर्चा है. सिन्हा ने ट्वीट किया. + कन्फ्यूज्ड हैं. अर्णब के खलिाफ कानूनी आरोप क्या हैं? सोनिया गांधी आपत्तिजनक टिप्पणी करने का या फिर सांप्रदायिक नफ़रत भड़काने का. अनुभव के इस ट्वीट पर कुछ लोगों ने उन्हें घेरने की भी कोशिश की. किसी ने लिखा कि %ज्यादा ओवरएक्टिंग करने ज़रूरत नहीं है, तो किसी ने कहा बुरे अभिनय का चार्ज लगता है